(कर्म को प्रधान रूप से कहने के लिए कर्मवाच्य का प्रयोग होता है। कर्मवाच्य में कर्ता में तृतीया, कर्म में प्रथमा तथा क्रिया कर्म के अनुसार चलती है। सकर्मक धातुओं का ही कर्मवाच्य में प्रयोग होता है तथा धातु...
लट् लकार: (Prasent Tense) पुरुष: एकवचनम् अर्थ द्विवचनम् अर्थ बहुवचनम् अर्थ प्रथमपुरुष: पठति पढ़ता है / पढ़ रहा है पठतः दो पढ़ते हैं / पढ़ रहे हैं पठन्ति...
दो स्वरों के मेल से होने वाले विकार (परिवर्तन) को स्वर-संधि कहते हैं। जैसे - विद्या + आलय = विद्यालय। स्वर-संधि छ: प्रकार की होती हैं - दीर्घ संधि गुण संधि वृद्धि संधि यण संधि अयादि संधि वृद्धि संधि