(कर्म को प्रधान रूप से कहने के लिए कर्मवाच्य का प्रयोग होता है। कर्मवाच्य में कर्ता में तृतीया, कर्म में प्रथमा तथा क्रिया कर्म के अनुसार चलती है। सकर्मक धातुओं का ही कर्मवाच्य में प्रयोग होता है तथा धातु...
सन्धि (सम् + धि) शब्द का अर्थ है 'मेल' या जोड़। दो निकटवर्ती वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है वह संधि कहलाता है। संस्कृत, में परस्पर स्वरो या वर्णों के मेल से उत्पन्न विकार को सन्धि...
करण कारक क्रिया को पूर्ण करने में करने में जो सबसे ज्यादा सहायता करता है उसे '' करण '' कहते हैं। उदाहरण = वह गेंद से खेलता है ( इस उदाहरण में गेंद खेल में सबसे ज्यादा सहायक...