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हड़प्पा सभ्यता (Indus Valley Civilization / सिंधु घाटी सभ्यता)

A
Akashdeep Singh
1 day ago 0 0

1. परिचय और समय-सीमा

  • हड़प्पा सभ्यता (Indus / Harappan Civilisation) प्राचीन भारत की एक महत्वपूर्ण सभ्यता है, जिसका मुख्य केंद्र सिंधु नदी के मैदान में था। इसकी प्रमुख नगर—हरप्पा और मोहनजोदड़ो थे।

  • समय-सीमा: प्रोटो-हड़प्पन अवधि से लेकर शहरी हड़प्पन काल तक फैली; सामान्यतः मेट्योर हड़प्पन लगभग 2600–1900 ईपू (BCE) मानी जाती है। 

2. भौगोलिक विस्तार

  • यह सभ्यता आज के पाकिस्तान (Punjab, Sindh) और पश्चिमी भारत (Gujarat, Rajasthan) तक फैली थी; इसके निचले-स्तर के स्थल अरब सागर के पास भी मिले हैं (जैसे लोथल)। 

3. प्रमुख स्थल

  • हरप्पा (Punjab), मोहनजोदड़ो (Sindh), धोलावीरा (Kutch, गुजरात), लोथल (Gujarat), खरापार (Rakhigarhi, Haryana) — ये कुछ प्रमुख नगर हैं। 

4. नगरीय योजना और स्थापत्य

  • हड़प्पाई नगरों में ग्रिड-प्लान यानी सीधी सड़कें और नियमित आवासी ब्लॉक थे। शहर दो मुख्य भागों में बंटे पाए जाते हैं: सिटैडेल (उच्च भाग) और लोअर टाउन (निचला भाग)। 

  • ड्रेनेज और स्वच्छता: हरप्पाई नगरों का ड्रेनेज (नालियों) तंत्र अत्यंत विकसित था — घरों के पास नालियाँ, सीवर और कुएँ मिलते हैं। मोहनजोदड़ो के 'ग्रेट बाथ' ने सार्वजनिक स्नानागार का उत्कृष्ट उदाहरण दिया। 

  • ईंटों का मानकीकृत उपयोग (मानक आकार की पक्की ईंटें) और गोदाम (granaries), सार्वजनिक इमारतों का उपयोग मिलता है। 

5. साहित्यिक और मूर्तिकला प्रमाण (material culture)

  • मुहरें (seals) — पशु-चित्र, लिपि और प्रतीक; तांबे की मूर्तियाँ (जैसे 'नाचती लड़की' — Dancing Girl), मिट्टी और पत्थर के बर्तन, मोतियों और आभूषणों के निशान। मुहरों पर लिपि होने के कारण व्यापार/प्रशासनिक गतिविधियों का संकेत मिलता है। 

6. अर्थव्यवस्था (Economy)

  • कृषि: गेहूँ, जौ, तिलहन, सरसों आदि की खेती; सिंचाई और वानिकी पर निर्भर।

  • हस्तकला: मोती-निर्माण, तांबे के उपकरण, पॉटरी, टोकरी बनाना।

  • व्यापार: मेसोपोटामिया (आधुनिक इराक) से व्यापार के ठोस प्रमाण मिलते हैं — सीपों/मुहरों और सामान के आदान-प्रदान के संकेत। शहरों में वजन और माप का मानकीकरण था, जो व्यापार-सुविधा दर्शाता है।

7. राजनीति और समाज

  • बड़े सार्वजनिक भवन/महलों का अभाव — इससे संकेत मिलता है कि अत्यधिक केंद्रीकृत राजशाही का प्रमाण नहीं मिलता; सम्भवतः नगर-स्तरीय शहरी प्रबंधन, ट्रेड-गिल्ड और वरिष्ठ परिवारों का सामूहिक शासन रहा होगा। सामाजिक विभाजन—हस्तशिल्पी, व्यापारी, कृषक एवं सरकारी कार्यकर्ता — दिखाई देते हैं। 

8. धार्मिक और सांस्कृतिक पक्ष

  • भक्तिपूर्वक मूर्तियाँ (माँ—देवी की मूर्ति के संकेत), पशु-पूजा, पेड़ पूजन के प्रतीक मिलते हैं; परन्तु बड़े मंदिरों या राजसी देवालयों के स्पष्ट प्रमाण नहीं मिले। धार्मिक अभ्यास के सटीक स्वरूप का निर्धारण सीमित स्रोतों के कारण कठिन है। 

9. लिपि (Indus script)

  • हड़प्पाई लिपि (इंडस स्क्रिप्ट) कई मुहरों पर पायी जाती है, परन्तु आजतक इसे पूर्णतः पढा नहीं जा सका — इसलिए उनकी भाषा और प्रशासनिक विवरणों के बारे में निश्चितता सीमित है। यह एक बड़ा रहस्य है।

10. पतन/अंत के कारण (Decline)

  • परंपरागत कारणों में नदियों का मार्ग बदलना, रेगिस्तानीकरण, सूखा, बाढ़, वाणिज्यिक गिरावट और संभवतः सामाजिक-आर्थिक व्यवधान शामिल हैं। हाल के अध्ययनों ने यह सुझाव दिया है कि कुछ क्षेत्रों में नदियाँ स्थानांतरित हुईं या मानसून पैटर्न बदल गया, जिससे शहरों का परित्याग हुआ। (कभी-कभी पुरानी 'आधुनिक-आर्य शासन' सिद्धांत को भी कहा जाता रहा है पर आज के शोध अधिकतर प्राकृतिक और आर्थिक कारणों की ओर संकेत करते हैं)।

11. खोज और उत्खनन

  • 1920s में आर. डी. बैनर्जी ने हरप्पा और बाद में मोहनजोदड़ो का उत्खनन प्रारम्भ किया; जॉन मार्शल, मौरतिमर व्हीलर आदि प्रमुख पुरातत्वविद रहे। उत्खनन से मिली सामग्री ने हड़प्पाई सभ्यता के जीवन को उजागर किया। 

12. महत्त्व (Significance)

  • शहरी नियोजन, स्वच्छता प्रणाली, शिल्पकला और दूर-दराज के व्यापार के कारण हड़प्पा सभ्यता प्राचीन विश्व की महान सभ्यताओं में गिनी जाती है। इसकी खोज ने भारतीय उपमहाद्वीप की प्राचीनता और शहरी परंपरा को स्थापित किया।


संक्षेप (Summary)

हड़प्पा सभ्यता (Indus Civilization) प्राचीन भारत की एक विकसित शहरी सभ्यता थी (लगभग 2600–1900 BCE)। इसके नगरों में व्यवस्थित ग्रिड प्लान, उन्नत ड्रेनेज और सार्वजनिक निर्माण मिलते हैं। अर्थव्यवस्था कृषि, हस्तकला और विदेश व्यापार पर टिकी थी। मुहरों व लिपि से प्रशासन-व्यवस्था का संकेत मिलता है, पर लिपि अब तक न पढ़ी गई है। नदियों के मार्ग बदलना, जलवायु परिवर्तन व आर्थिक व्यवधान इसके पतन के मुख्य कारण माने जाते हैं। 


रिवीजन पॉइंट्स (Quick Revision — बुलेट्स)

  • समय: प्रोटो-हड़प्पन → मेट्योर हड़प्पन (≈2600–1900 BCE). 

  • प्रमुख नगर: हरप्पा, मोहनजोदड़ो, धोलावीरा, लोथल, रक्खीगढ़ी। 

  • विशेषताएँ: ग्रिड प्लान, सीवर सिस्टम, मानकीकृत ईंटें, मुहरें और वजन-प्रणाली। 

  • अर्थव्यवस्था: कृषि + हस्तकला + समुद्री/स्थलीय व्यापार। 

  • रहस्य: इंडस लिपि का अभी तक अनपढ़ होना। 


अभ्यास प्रश्न (Practice Questions) — परीक्षा के अनुरूप

A. बहुविकल्पीय (MCQ)

  1. हड़प्पा सभ्यता का प्रमुख नगर कौन-सा था?
    A) रोहतास B) हरप्पा C) पाटलिपुत्र D) वल्लभनगर
    उत्तर: B

  2. मोहनजोदड़ो का प्रसिद्ध सार्वजनिक स्थल क्या था?
    A) स्टेडियम B) ग्रेट बाथ C) महल D) मंडी
    उत्तर: B

B. संक्षिप्त उत्तर (2–4 पंक्तियाँ)

  1. हड़प्पा सभ्यता की ड्रेनेज प्रणाली क्यों महत्वपूर्ण मानी जाती है?
    उत्तर-संकेत: नियमित नालियाँ, घरों में आवक/निष्कासन के लिए नलियाँ, सार्वजनिक स्वच्छता—सभ्यता की शहरी योजनाबद्धता को दर्शाती है। 

  2. लोथल का महत्व क्या है?
    उत्तर-संकेत: लोथल गुजरात में बंदरगाह-शहर माना जाता है; समुद्री व्यापार व डॉक-यार्ड के साक्ष्य मिलते हैं। 

C. लघु/दीर्घ उत्तर (150–300 शब्द)

  1. हड़प्पा सभ्यता के पतन के संभावित कारण चर्चा कीजिए।
    उत्तर-निर्देश: नदियों के मार्ग में बदलाव, मानसून का कमजोर पड़ना, व्यापार का पतन, सामाजिक-आर्थिक कारण; पर सांस्कृतिक और बाहरी आक्रमणों के प्रमाण सीमित हैं। हालिया शोध नदियों/जलवायु परिवर्तन की भूमिका पर बल देते हैं। 

D. नक्षा और स्रोत-आधारित प्रश्न

  1. नक्शे पर हरप्पा व मोहनजो-दड़ो को अंकित कीजिए।

  2. किसी दिए गए मुहर (seal) की छवि देखें और बताइए कि उससे किन-किन चीज़ों का पता चलता है (लिपि, पशु-चित्र, व्यापार संकेत)। 

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